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श्री सीताराम विवाह महोत्सव के मौके पर आचार्य भारत भूषण पांडे जी की भागवत कथा

Writer's picture: CINE AAJKALCINE AAJKAL

Updated: Dec 19, 2023



सिने आजकल आरा भोजपुर बिहार - श्री सीताराम विवाह महोत्सव के अवसर पर महावीर स्थान रमना में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन प्रवचन करते हुए आचार्य डॉ भारतभूषण जी महाराज ने कहा कि ऊपर ब्रह्म अर्थात् भगवान का बल, नीचे धर्म का बल और व्यवहार में शास्त्र का बल असली बल है। जिसके पास ये बल नहीं हैं वह संसार का सबसे बड़ा निर्बल निरुपाय प्राणी है। आचार्य ने कहा कि तीनों में से किसी एक का आश्रय मिल जाने से तीनों प्राप्त हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुशीलन से धर्म और ब्रह्म के स्वरूप का बोध हो जाता है किन्तु बिना सदगुरु के शास्त्र भी बोधगम्य नहीं होते हैं।

जीवन में सदगुरु मिल जायं तो वेदों- पुराणों के परम तात्पर्य धर्म-ब्रह्म का सुगम रीति से बोध करा देते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत के प्रारंभ में भगवान वेदव्यास ने तीन श्लोकों में मंगलाचरण किया है। पहले में ब्रह्म, दूसरे में धर्म और तीसरे श्लोक में शास्त्र की महिमा का विशद वर्णन किया है। सूतजी महाराज को भगवान वेदव्यास जैसे समर्थ सद्गुरु मिले तो शौनकादि अट्ठासी हजार ऋषियों को नैमिषारण्य के पवित्र चक्रतीर्थ में सूतजी जैसे परम्पराप्राप्त गुरु की प्राप्ति हुई। जैसे बाहर का अंधकार भगवान सूर्य से समाप्त हो जाता है उसी प्रकार अज्ञान का अंधकार सद्गुरु जैसे सूर्य के वचन रूप किरणों से मिट जाता है। सी मीडिया आरा से संजय श्रीवास्तव

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