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शाहपुर में श्रीअन्न पकवान प्रतियोगिता का आयोजन, महिलाओं को किया सम्मानित

Writer's picture: CINE AAJKALCINE AAJKAL


सिने आजकल शाहपुर बिहार- जिले के शाहपुर प्रखंड के नगर पंचायत पश्चिमी पोखरा में कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर के द्वारा श्रीअन्न आधारित पकवान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में महिलाओं द्वारा श्रीअन्न आधारित ज्वार, बाजरा, रागी व टंगुनी से बने हुए हलुआ, नमकीन, पुआ, दलिया, खीर, ठेकुआ जैसे पकवान से पूरा परिसर भरा हुआ था। इस कार्यक्रम में नवजागरण ग्रामीण विकास समिति के संयोजक श्रीसंत कुमार सम्मिलित हुए। कृषि विज्ञान केंद्र के हेड सह वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ प्रवीण कुमार द्विवेदी ने कार्यक्रम के महत्व पर जानकारी देते हुए बताया कि इसका उद्देश्य लोगों में श्रीअन्न के प्रति जागरूक करने के साथ साथ इसे भोजन के रूप में ज्यादा से ज्यादा घरों में पहुंचना है। लोगों के स्वास्थ्य पर जो अभी तक विपरीत प्रभाव देखा जा रहा है। उसमें कमी आए और कुपोषण का असर नीचे जाए। उन्होंन कहा कि आज इन अनाजों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका हो गई है। यह हमारे भविष्य के महत्वपूर्ण अन्न है। जिन्हें देश में सभी जगह पर उपयोग में अब लाना शुरू किया गया है। आने वाले समय में बाजार में भी बहुत ज्यादा अच्छा मूल्य प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि आज के समय में अपने खेती को आगे बढ़ाने के लिए सभी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से अपने आप को जोड़ना चाहिए। उसमें पूरे वर्ष का मात्र 3 प्रतिशत ही ब्याज किसान को देना होता है जो की सर्वाधिक कम है । लोगों को ज्यादा से ज्यादा किसान क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने एवं इससे जुड़ने के लिए सलाह दिया।

मोटे अनाज औषधि के समान है-कृषि वैज्ञानिक

कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक सुप्रिया वर्मा ने मंच संचालन करते हुए कहा कि मोटे अनाज नाम के लिए मोटे हैं। मानव के जीवन में इसका महत्व औषधि के समान है। इसे कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। खासकर के महिलाओं को कई प्रकार की समस्याएं होती है। जिसमें उनकी बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके शरीर में आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम विटामिन की जो कमियां है। इनके प्रयोग से इसे दूर किया जा सकता है।


जैविक विधि से खेती पर दिया जोर

कृषि वैज्ञानिक शशिभूषण कुमार शशि ने कहा कि इस प्रकार के जो श्रीअन्न है वह जलवायु अनुकूल है। उनके उत्पादन में प्राकृतिक संसाधनों का न्यूनतम उपयोग करके बेहतर खाद्य पैदा किया जा सकता है। जहां पर सुखा हो या जमीन थोड़ी कमजोर भी हो। वहां पर भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है। इस अनाज की खेती अगर जैविक विधि से की जाए तो इसकी गुणवत्ता में और भी ज्यादा बेहतर परिणाम मिलेंगे।


श्रीअन्न प्रतियोगिता में प्रथम रही कंचन

प्रतिभागियों में प्रथम स्थान पर सेमरिया निवासी कंचन देवी, द्वितीय स्थान पर डुमरिया निवासी कांती देवी व तृतीय स्थान पर मालती देवी को प्रदान किया गया। इस मौके पर उपहार के साथ प्रमाण पत्र भी दिया गया। शेष सभी प्रतिभागियों को प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उपहार देकर सम्मानित किया गया। सी मिडिया से कमलेश कुमार पांडेय


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