चार दिवसीय चलने वाले आस्था के महापर्व छठ करने के लिए हर साल करीब 10 हजार के आसपास व्रती पहुचते है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर पर छठ करने से रोजगार, नौकरी, पुत्र रत्न प्राप्ति, सफेद दाग से मुक्ति समेत अन्य मन्नते पुरी होती है।
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सिने आजकल बड़हरा आरा बिहार- बड़हरा हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतिक रामसागर सूर्य मंदिर भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड में स्थित है। इसका निर्माण वर्ष 1967 में हुआ था। तब से लेकर आज तक आस्था का केंद्र बना हुआ है। चार दिवसीय चलने वाले आस्था के महापर्व छठ करने के लिए हर साल करीब 10 हजार के आसपास व्रती पहुचते है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर पर छठ करने से रोजगार, नौकरी, पुत्र रत्न प्राप्ति, सफेद दाग से मुक्ति समेत अन्य मन्नते पुरी होती है। प्रारंभ में इस मंदिर के निर्माण में गांव के शिक्षक व प्रबुद्ध वर्ग के लोग नाटक, सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से जुड़ते गये। मंदिर में छठ करने वालो की मन्नते पुरी होने के बाद अपने सगे संबंधी व रिस्तेदार को मंदिर की महत्ता की बताते है। धीरे-धीरे दूसरे धर्म के लोगो के आकर्षण का केंद्र बनता गया। छठ करने रोहतास जिला के नोखा समेत अन्य जगहों से अपने परिवार के साथ व्रती आते रहे है। ग्रामीणों ने बताया के दोनों धर्म के लोग बढ़चढ़कर हिस्सा लेते है। उनके सहयोग से पूरे चार दिन तक लोगों के सेवा में जुटे रहते है। उनके रहने की व्यवस्था कमिटी कराती है।
मंदिर के आसपास मेला लगता है। स्थानीय निवासी वीरेंद्र शाह, सुमित पासवान, देवरत्न सिंह, अर्जुन महतो, संजय शास्वत ने बताया कि मंदिर परिसर में तीन दिन तक 19, 20 और 21 नवम्बर तक उतर प्रदेश से कलाकारों की मंडली जागरण, नौटंकी के प्रदर्शन करने आयेगी।
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सूर्य मंदिर पर पूर्व की तरह अब स्नान करने में श्रध्दालुओं को कोई परेशानी नही है। मंदिर के पश्चिम घाट पर सांसद निधि से उर्जामंत्री सह आरा के सांसद आरके सिंह द्वारा 100 फीट व बड़हरा के पूर्व विधायक सरोज यादव के निधि से 100 फीट पक्की सीढ़ी का निर्माण कराया गया है। जिससे व्रती को सुविधा मिलेगी। इस स्थल पर छठ करने के लिए रामशहर, देवरथ, पंडितपुर, मटुकपुर, मनीछपरा, रामसागर, छितनी के बाग, नेकनामटोला, लाला के टोला, कोईलवर के चांदी, शाहपुर के सिकरिया सहित कई गांवो के व्रती करने रामसागर पहुचते है।
चार दिन तक लगता है मेला
सूर्य मंदिर परिसर में घार दिनों तक मेला लगता है। क्षेत्र की जनता और व्रती के परिजन, बच्चें मेला में झूला, चरखी का खुबमजा लेते है।सी मीडिया से कमलेश कुमार पांडेय की रिपोर्ट
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