सीने आजकल/सिहेक्ट मीडिया आरा बिहार। भोजपुरी भाषा के विकास व 8 वीं अनुसूची में शामिल कराने को लेकर आरा शहर के जेपी स्मारक के समीप एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कुछ रुप में शुरु हुआ। यह बिहार के भोजपुर से ज्वालामुखी की तरह दिख रहा। यूपी भी भाषा की स्मिता के लिए चूप नही है। भोजपुर व अन्य जिले के वक्ताओं ने धरना में पहुचकर भोजपुरी भाषा को 8 वीं अनुसूची में कैसे शामिल हो को लेकर भोजपुरी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आठ सूत्री मांगों को लेकर धरना दिया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार नंदजी दुबे, संचालन पत्रकार नरेंद्र सिंह, नव बिहार टाइम्स के ब्यूरोचीफ कमलेश पांडेय और धन्यवाद ज्ञापित अधिवक्ता देवी दयाल राम ने की। वक्ताओं में वीकेएसयू के भोजपुरी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ नीरज सिंह, अयोध्या प्रसाद उपाध्याय, प्रो बलिराज ठाकुर, छपरा से आए डॉ शिक्षाविद हरेंद्र सिंह, प्रगतिशील भोजपुरी समाज वाराणसी के डॉ जनार्दन सिंह वर्तमान वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ दिवाकर पांडेय, सीनियर सिटीजन के केंद्रीय अध्यक्ष धीरेंद्र प्रसाद सिंह, जेपी सेनानी सुशील तिवारी, डॉ जया जैन समेत अन्य ने भोजपुरी भाषा को अब तक आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किए जाने पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि भोजपुरी का व्याकरण, शब्दकोश, भारत के ही नहीं अंग्रेजों के जमाने में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था।
जिसकी कई किताबें उपलब्ध है। भौगोलिक दृष्टिकोण से और आबादी के हिसाब से भी भोजपुरी समाज देश के कोने-कोने में विद्यमान है। संख्या बल जहां हमारी लगभग 25 करोड़ है। वही मतदाता के रूप में भोजपुरिया समाज 5 करोड़ है। इसके बाद भी समाज को उपेक्षित किया जा रहा है। सरकारी रवैया और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा पूर्ण नीति तथा टुकड़े-टुकड़े गैंग में विभक्त रहने के कारण आज यह स्थिति भोजपुरी भाषा की बनी है। साथ ही भोजपुरी के नाम पर चल रही अश्लील भोजपुरी गायकी भी जिम्मेवार है। वक्ताओं ने कहा कि राजनीतिक दल हमें और हमारे समाज को सिर्फ वोट बैंक समझकर इस्तेमाल कर रहे हैं। समाज को होशियार रहना होगा। वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि आज विश्व मातृभाषा दिवस पर संघर्ष मोर्चा के बैनर तले जो आयोजन हुआ है। वह सराहनीय ही नहीं बल्कि भोजपुरी भाषा के जन आंदोलन चलाने का शंखनाद है। जो बाबू कुंवर सिंह के धरती से शुरु हुआ है। कई वक्ताओं ने जहां-जहां भोजपुरी भाषा को सम्मान मिल रहा है प्रशंसा भी की। पर सवाल उठाया कि जब डोगरी, मैथिली व अन्य 22 भाषण अष्टम अनुसूची में शामिल है। तो भोजपुरी को क्यों नही शामिल किया। दलबल व विचारधाराओं से अलग हटकर सिर्फ भोजपुरी भाषा को लेकर एक सशक्त जन आंदोलन चलाया जाए। धरना की शुरुआत भिखारी ठाकुर की प्रतिमा और जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर मल्यार्पण के पश्चात शुरू हुआ। मोर्चा के 8 सूत्री मांगों का पत्र डीएम के द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री को भेजा गया। धरना के दौरान भोजपुरी भाषा पर केंद्रित गीत व्यास कमलेश पासवान, धनजी पांडेय ने तथा कविता पाठ साहित्यकार जनार्दन मिश्र ने प्रस्तुत किया। वक्ताओं में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत शिक्षक डॉ योगेंद्र सिंह, आनंद मोहन सिंह, क्रांति मंच के जिला अध्यक्ष मणि भूषण श्रीवास्तव, कवित्री डॉ किरण कुमारी, वरिष्ठ रंगकर्मी के स्टैंडयू डॉ रेनू मिश्रा, मधु मिश्रा, जितेंद्र पासवान, अधिवक्ता जिला अध्यक्ष संजय सिंह, कर्मचारी संघ के नेता उमेश कुमार सुमन व अन्य शामिल थे।
सी मीडिया से कमलेश कुमार पांडेय की रिपोर्ट
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