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भिखारी ठाकुर लोकोत्सव पर भोजपुरी भाषा को 8वीं अनुसूची के मुद्दे पर निर्णायक शंखनाद का आह्वान

Writer's picture: CINE AAJKALCINE AAJKAL

सिने आजकल / सिहेक्ट मीडिया आरा। शहर के पटेल बस पड़ाव स्थित भिखारी ठाकुर सामाजिक शोध संस्थान के बैनर तले तीन दिवसीय भिखारी ठाकुर लोकोत्सव-2024 की शुरुआत पारंपरिक ढंग से हुई ।

16 दिसम्बर को पहले दिन जनप्रतिनिधियों, साहित्यकारों, पत्रकारों व संस्कृति कर्मियों द्वारा भिखारी ठाकुर, बाबू ललन सिंह व उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलित कर हुई। मौके पर पूर्व कुलपति प्रो डॉ धर्मेंद्र तिवारी, आरा नगर निगम के महापौर इंदु देवी, डॉ जया जैन, प्रो किरण कुमारी, मधु मिश्रा, धीरेन्द्र सिंह सीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन, साहित्यकार जनार्दन मिश्रा, प्रो रेणु मिश्र, मोर्या होटल पटना के डायरेक्टर सह मां काली मंदिर बखोरापुर ट्रस्ट के अध्यक्ष बीडी सिंह, प्रो दिनेश प्रसाद सिन्हा व अन्य ने संबोधित किया। कमलेश व्यास द्वारा भिखारी रचित गंगा स्नान और अन्य गीतों की मधुर प्रस्तुति हुई।

इसके बाद भोजपुरी की संवैधानिक मान्यता तथा अस्मिता की पहचान के सवाल विषय पर परिचर्चा आयोजित हुई। परिचर्चा में डॉ रंजन विकास, रंजन प्रकाश, गोरखपुर के नन्दमणि लाल त्रिपाठी, मीडिया विशेषज्ञ डॉ अजय ओझा, देवरिया के जनार्दन सिंह, वीर कुंवर सिंह विवि भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रो दिवाकर पांडेय, डॉ कुमार शीलभद्र, डॉ बीरेंद्र कुमार शर्मा, आचार्य धर्मेंद्र तिवारी व अन्य ने भाग लिया।

भोजपुरी की संवैधानिक मान्यता के लिए भोजपुर की जनता को जागरूक होने तथा जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का आह्वान किया। वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि अब निर्णायक संघर्ष का समय है। सभी आंदोलनरत संगठनों को एक बैनर के नीचे आने की जरूरत है। जिसका आगाज़ भिखारी ठाकुर लोकोत्सव के इसी मंच से होगा। संस्थान के अध्यक्ष सह वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र सिंह ने एक कमिटी गठित करने का प्रस्ताव दिया। जिसमें सभी संगठनों के लोग सहभागी होंगे।

गोड नाच की प्रस्तुती जोगीबीर के दरोगा गोंड, टुनटुन गोंड और उनकी टीम द्वारा की गई। जिसे दर्शक एकटक देखकर भाव विभोर हो गए। अंत में संस्थान की स्मारिका के आवरण पेज की मुंह दिखाई हुई। भिखारी ठाकुर और भोजपुरी लोकसंस्कृति पर केंद्रित स्मारिका का प्रकाशन फरवरी तक किया जाएगा। संचालन नरेंद्र सिंह, रवि प्रकाश सूरज, बंटी भारद्वाज ने किया। कार्यक्रम में चंद्रभूषण पांडेय, कवि राज कवि, रंजन यादव, सोहित सिन्हा, रंगकर्मी राजू रंजन, आदित्य, रवि कुमार, शंकर जी आदि सदस्यों की भूमिका महत्वपूर्ण रही।


सी मीडिया से कमलेश कुमार पांडेय की रिपोर्ट

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