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दो समुदाय के भाईचारे का प्रतीक महावीरी शोभायात्रा गुंडी में निकला

Writer's picture: CINE AAJKALCINE AAJKAL

सिने आजकल बड़हरा आरा बिहार-

भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड स्थित गुंड़ी गांव में बसंत पंचमी पर महावीरी शोभायात्रा बड़े ही धूमधाम के साथ निकाला गया। यह शोभायात्रा दो धर्मो के लोग आपसी सौहार्द में मनाते है। बताया जाता है कि यह परंपरा सौ वर्षों से चला आ रहा है। जिसमें दो समुदाय के लोग शामिल होते है। सर्वप्रथम महावीरी जुलूस शोभायात्रा का आयोजन स्व तेज प्रताप सिंह के दरवाजे से शुभारंभ हुआ था। उसके बाद रिखदेव सिंह, कृष्णदेव सिंह, पारस सिंह, रामायण सिंह ने परंपरा को जारी रखा। बसंत पंचमी को आचार्य द्वारा वैदिक मंत्रोचारण से परंपरागत अस्त्र-शस्त्र एवं झंडा का पूजा की जाती है। इसके बाद जुलूस मां मैत्रायणी योगिनी सेकेंडरी स्कूल होते हुए आखड़ा के पास जाती है। यहां परंपरागत अस्त्र-शस्त्र की पूजा, अखाड़ा पूजन एवं प्राचीन बहुमूल्य धातु के तार से निर्मित हनुमान लला के ध्वज की पूजा की जाती है। शोभायात्रा में हाथी, घोड़ा, ऊंट, गाजे बाजे और पारंपरिक अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित होकर पूरे गांव का भ्रमण किया जाता है। लोग अपने-अपने पारंपरिक करतबों को दिखा कर दर्शकों को प्रेम रस में सराबोर करते है।

महावीरी जुलूस की सबसे खासियत है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग साथ-साथ मिलकर गदका, बंदा, लाठी-डंडा के खेल के साथ अन्य अपना-अपना करतब दिखलाते हैं। स्थानीय निवासी उपेंद्र सिंह ने बताया कि यह पूजा हमारे गांव में पूर्वजों के द्वारा शुरु कराया गया था। तब से लेकर आजतक चली आ रही है। महावीरी शोभायात्रा गुंडी बाजार से होते हुए मां काली स्थान के प्रांगण तक पहुंचता है। गुंडी चारधाम परिसर में यह बड़ा रूप धारण कर लेता है। पुनः वहां से नगर भ्रमण करते हुए शोभायात्रा गांव के पश्चिमी भाग में स्थित मां मैत्रायणी स्कूल के प्रांगण के पास जाकर समाप्त होता है। इसमें हिंदू-मुस्लिम युवा वर्ग हिस्सा लेते हैं। इस परंपरा से गांव में एक सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण होता है। जिससे आने वाली पीढियां के लिए भाईचारा का एक मिसाल प्रदर्शित करता है।

सी मीडिया से कमलेश कुमार पांडेय

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