बड़हरा :- प्रखंड के चातर गांव में मंगलवार को शिक्षाविद वीरेंद्र बहादुर सिंह के पुण्यतिथि पर परिवार के सभी सदस्यों तथा अन्य लोगों ने पूजा पाठ के बाद माल्यार्पण तथा पुष्प चढ़ाकर वीरेंद्र बहादुर सिंह की 22 वी पुण्यतिथि मनाने के साथ पूर्व में उनके द्वारा सामाजिक धार्मिक तथा शिक्षा जगत में उत्कृष्ट कार्यो को बारी-बारी से बताया गया। लोगों ने बताया वीरेंद्र बहादुर सिंह शिक्षा के क्षेत्र में अवतारी पुरुष थे। वह अंग्रेजी के विख्यात शिक्षक थे।
लोगों का ऐसा मानना है कि अंग्रेजी को वह भोजपुरी में पढ़ाते थे। विदित हो कि क्षेत्र के कई विद्यालयों के निर्माण में उनका सराहनीय योगदान रहा है। उच्च विद्यालय मटूकपुर के निर्माण के साथ-साथ शिक्षण कार्य सुचारू रूप से शुरू कराने के बाद पुनः उच्च विद्यालय बबुरा में प्रधानाध्यापक के पद पर योगदान किये और वहां भी शिक्षकों का संगठन तथा बच्चों को शिक्षण कार्य के लिए प्रेरित कर विद्यालय को सुचारू रूप से चलाने में उनकी सराहनीय भूमिका रही।
स्थानीय निवासी होने के कारण धार्मिक और सामाजिक कार्यों में गहरी रुचि रखने वाले वीरेंद्र बहादुर सिंह अपने गांव के दुर्गा पूजा के आयोजन में 1970 के दशक से शुरुआती दौर के सदस्यों की पंक्ति में सक्रिय भूमिका और बाद में काफी वर्षों तक सक्रिय योगदान देते हुए काफी व्यापक स्तर शीर्ष पर पहुंचा। इसके साथ ही एक अन्य आयोजन नवाह परायण यज्ञ की शुरुआत तथा लगातार के 5 वर्षों बाद 1980 में गांव में ही 72 वा अखिल भारतीय श्री राम चरित्र संकीर्तन महासम्मेलन करवाया। इससे चातर गांव का नाम अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर विख्यात हुआ था।
उच्च विद्यालय लई से अवकाश प्राप्त करने से कुछ वर्ष पहले अखिल विश्व गायत्री परिवार शक्तिपीठ आरा शांतिकुंज हरिद्वार से जुड़े रहे। मिशन के नियमानुसार अनेक छोटे-बड़े कुंडिया यगों का आयोजन करते रहे उसी समय 33 गांव में लगभग 500 पत्रिकाओं की प्रति माह अपने हाथों से वितरण करते थे। नौनीहाल बखोरापुर बडहरा भोजपुर महान शिक्षाविद परम पूज्य स्वर्गीय द्वारिका सिंह द्वारा लिखित पुस्तक अपनी कहानी उनके द्वारा भेंट करते हुए उनके उद्गार में स्वर्गीय द्वारिका सिंह के द्वारा एक पत्र इनको दिया गया था।
लई पटना में राजकृत उच्च विद्यालय में एक पत्रिका अर्चना का प्रशासन उनके द्वारा करवाया गया जो काफी प्रसिद्ध हुआ। अंत में 16 जुलाई 2002 को हल्के करीब दो सप्ताह के अस्वस्थ होने के बाद पंच तत्व में विलीन हो गए। गांव और इलाके के धार्मिक जनों की श्रद्धा एवं परिवार जनों की विशेष निष्ठा के बदौलत ठीक 1 साल बाद अगले पुण्यतिथि पर प्रतिमा का अनावरण गायत्री परिवार आरा पटना शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ जिसे प्रतिमा स्थल यथा प्रेरणा स्थल के नाम से पूरे भारत में विख्यात है। वर्तमान में भी परिवार के तरफ से अपने पिता के प्रति पुत्रों की श्रद्धा और निष्ठा के गुणगान क्षेत्र के लोग करते थकते नहीं है। मीडिया दर्शन अश्वनी कुमार पिंटू
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