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आजाद भारत का गुलाम मीडिया


सिने आजकल/सिहेक्ट मीडिया-

पटना - आजाद भारत का गुलाम मीडिया विकलांग बनकर भारत में पत्रकारिता करने पर मजबूर है ! आजाद भारत के चौथे स्तंभ के मुँह पर मास्क लगा दिया गया है ! आजाद भारत में पत्रकारों को आजादी से बोलने का परमिशन नहीं है ! सरकार के खिलाफ, सिस्टम के खिलाफ, सरकारी पदाधिकारी के खिलाफ, सरकारी ठेकेदारों के खिलाफ , करप्शन भ्रष्टाचार के खिलाफ , महिला उत्पीड़न के खिलाफ , जुर्म अचार के खिलाफ अगर आपने आवाज उठाया तो सीधा जेल या प्रभु से मेल होने की संभावना सदैव बनी रहती है ! पत्रकारों का सुरक्षा सीधा भगवान के भरोसे होता है ! समय आने पर कोई साथ नहीं देता ! ना जानता, ना सरकार कहां जाए आजाद भारत के गुलाम पत्रकार !

भारतीय मीडिया की हालत दिन प्रतिदिन खस्ता होती जा रही है ! सरकारी विज्ञापन, सरकारी आदेश, और सरकार के आदेशानुसार खबर चलना होगा ! सरकार के खिलाफ लिखने या बोलने पर पत्रकारों के साथ मारपीट करना ! झूठे मुकदमें फसाना एक आम बात है ! भारतीय मीडिया धीरे-धीरे गुलामी की जंजीरों में जकड़ता जा रहा है ! वर्तमान समय में मीडिया हाउस सेटेलाइट चैनल हो या प्रिंट मीडिया सरकार के इशारों पर काम कर रही है ! देश के चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया बन्धुओं के लिए सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है ! कोई हमदर्दी कोई लगाव नहीं है ! लेकिन पत्रकारों के बिना नेताओं को एक पल भी जीना दुर्लभ है ! कहीं भी जाना है तो मीडिया के माइक कैमरा और पत्रकार बंधु साथ साथ चाहिए ! चुनावी सभाओं मे नेता पत्रकारों को गाड़ी घोड़ा हेलीकॉप्टर तक मुखिया करवाता है ! ताकी उनके मन के मुताबिक खबरों को प्रसारित किया जा सके ! कभी-कभी नेताजी की मानसिकता ब्रिटिश हुकूमत को याद दिलाती है ! और पत्रकार बंधु खुद को अंग्रेजी हुकूमत के अधीन महसूस करते हैं ! नेताजी के सुरक्षा में सैकड़ो सिक्योरिटी गार्ड एनएसजी कमांडो पुलिस फोर्स सीआईडी एवं अन्य विभाग के सैकड़ो पदाधिकारी लगे होते है ! लेकीन पत्रकारों के सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है ! पंचायती राज मे मुखिया के खिलाफ खबर लिखने या दिखाने पर पत्रकारों को दौड़ा दौड़ा कर मारा जाता है ! झूठे मुकदमे में फंसाया जाता है ! कभी-कभी तो गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा इलाका गूंज उठता है ! सैकड़ो पत्रकारों के हत्या हो चुकी है ! हजारों लोग जेल की सलाखों के पीछे झूठे मुकदमे में सजा काट रहे हैं !

मुखिया के खिलाफ अगर कोई खबर दिखाई जाती है तो मुखिया और उसके गुंडे पत्रकारों के साथ गाली गलौज मारपीट करते है ! अगर ताजा खबरों पर एक नजर डालें तो कुछ दिनों पहले की घटना है बिहार भागलपुर की है ! एयरपोर्ट ग्राउंड के पास भागलपुर सांसद अजय मंडल एवं उनके कार्यकर्ताओं का फोटो खींचने पर सिर्फ तस्वीर खींचने पर गुंडो के द्वारा पत्रकारों के साथ बुरी तरह से पिटाई किया जाता है ! कई दिनों तक पत्रकारों को मायागंज अस्पताल में इलाज चलता है ! लेकिन मजाल है की कोई बिहार का नेता मुखिया मंत्री पत्रकारों के दर्द पर मलहम लगाने अस्पताल पहुंचा हो ! या उनके परिवार वालों को दो वक्त का भोजन देने के लिए सहारा दिया हो ! कहलगांव के कई पत्रकारों को झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भिजवाने का भी प्रयास किया गया है ! बिहार के 38 जिलों में पत्रकारों की हालात बहुत बुरी है ! राज्य या केंद्र सरकार किसी को भी पत्रकारों के बारे मे सोचने का समय नहीं है ! बिहार के नेताओं को बिहारी जनता का सिर्फ वोट चाहिए ! बिहार के लोग किस हालात में जी रहे हैं इसकी परवाह किसी भी नेताओं को नहीं ! बिहार को विशेष राज्य का लॉलीपॉप दिखाने वाले नेताओं को भी सौ सौ बार सलाम ! आजाद भारत के पत्रकारों का कोई मां-बाप नहीं है ! कोई सरकारी योजनों का लाभ नहीं है ! कोई आवास नहीं है ! कोई सरकारी पेंशन नहीं है ! पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक मुखिया से लेकर मंत्री तक जो सिर्फ 5 साल के लिए सत्ता मे जाते है ! उनको सरकारी आवास, सरकारी सुविधाये , सरकारी फंड पुलिस सिक्योरिटी गार्ड एवं अन्य सैकड़ो सुविधाएं दिया जाता है ! हमारे देश में बहुत सारे ऐसे नेता मंत्री है जिनके पास शिक्षा का बहुत अभाव है ! लेकीन जनता के समर्थन से वो हनुमान बने बैठे है ! देश के जनता को समझ मे नहीं आता है की पत्रकार बंधु किसके लिए काम करते हैं ! सरकार के लिए या आम जनता के लिए ! अब पत्रकारों की पहचान 0 हो गया है ! देश के कई घटनाओं को उठाकर देखे तो पत्रकार बंधु भी कई जातियों में बट चूका है ! देश में सबको कुछ ना कुछ आरक्षण के तौर पर मिला है लेकिन पत्रकारों को बाबा जी का ठुल्लू मिला है क्योंकि पत्रकारों में एकता नहीं !

केंद्र सरकार मीडिया के पावर को कम करने के लिए रोजाना नए-नए कानून का आविष्कार कर रहा है ! देश के अधिकांश सैटेलाइट मीडिया हाउस सरकार के कब्जे में है ! देश के प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बिना सरकारी विज्ञापन के लॉन्ग टाइम तक नहीं चल सकती है ! ऐसी हालत में इलेक्ट्रॉनिक सैटेलाइट चैनल एवं प्रिंट मीडिया को सरकारी विज्ञापनों के सहारे सांस लेना पड़ रहा है ! अब रहा उछल कूद करने वाले सोशल मीडिया यूट्यूब चैनल ! युटुबर पत्रकारों को नाक में नकेल कसने के लिए सरकार ने ऐसा कानून लाया है की काला पानी से भी ज्यादा कड़ा है ! यूट्यूब पर पत्रकारों के लिए एक ऐसा कानून जो सरकार के खिलाफ बोलने से पहले सैकड़ो बार सोचना होगा ! डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नामक यह कानून पत्रकारों को जान जोखिम डाल दिया है ! इस कानून का उल्लंघन करने वाले पत्रकारों पर 250 से 500 करोड़ रु का जुर्माना ठोका जायेगा ! ये जुर्माना की राशी को पूरे दुनिया के दंड और जुर्माना की राशी से बड़ा माना जा रहा है ! यह कौन सा जुर्माना है जो इतने बड़े अमाउंट के रूप में यूट्यूबर पत्रकार बंधुओ से वसूला जाएगा ! यानी की अगर इस कानून को समझा जाए तो इतना बड़ा जुर्माना सरकार को भरना या काला पानी की सजा काटना बराबर देखा जा रहा है ! मोदी सरकार नया कानून डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम ! इस कानून के तहत उल्लंघन करने पर 250 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये तक का भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान है। यह प्रावधान मुख्य रूप से डेटा फिड्यूशरी (Data Fiduciary) और डेटा प्रोसेसर जैसी संस्थाओं के लिए होना बताया जा रहा है जो बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत डेटा को प्रोसेस करती हैं।

यूट्यूबर्स पत्रकार बन्धुओं एवं आरटीआई कार्यकर्ताओं पर इसका क्या असर पड़ेगा ! इस बात की जानकारी देश के सभी युटयुबर्स पत्रकार बंधुओ को जानना अति आवश्यक है !

पत्रकारों और यूट्यूबर्स की चुनौतियां यहाँ से शुरू होती है ! स्वतंत्र रिपोर्टिंग पर असर - अगर कोई पत्रकार या यूट्यूबर किसी विषय पर रिपोर्टिंग कर रहा है और उसमें किसी व्यक्ति के निजी डेटा का अनाधिकृत रूप से उपयोग होता है तो यह डेटा प्रोटेक्शन कानून के दायरे में आ सकता है ! कंसेंट (Consent) की बाध्यता: डेटा का उपयोग करने से पहले व्यक्ति की सहमति लेना अनिवार्य हो सकता है ! हालांकि पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए कुछ मामलों में छूट दी जा सकती है ! डेटा मिसयूज के आरोप यदि किसी वीडियो या लेख में गलत तरीके से व्यक्तिगत जानकारी को उजागर किया जाता है ! तो प्रभावित व्यक्ति कानूनी कार्रवाई कर सकता है ! डेटा प्राइवेसी और पब्लिक इंटरेस्ट कई बार पत्रकारिता में पब्लिक इंटरेस्ट में संवेदनशील डेटा प्रकाशित किया जाता है ! ऐसे मामलों में कानूनी लड़ाई जटिल हो सकती है और पत्रकार को अपने इरादे और रिपोर्टिंग की वैधता को साबित करना पड़ सकता है ! क्या राहत मिल सकती है...?

सरकार ने संकेत दिया है कि जनहित में रिपोर्टिंग और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए कुछ अपवाद और सुरक्षा उपाय प्रदान किए जा सकते हैं ! मीडिया संगठनों और स्वतंत्र पत्रकारों को इस अधिनियम के तहत संभावित छूट दी जा सकती है ! बशर्ते कि वे पत्रकारिता आचार संहिता का पालन करें ! यूट्यूबर्स के लिए विशेष ध्यान देना होगा ! यूट्यूबर्स जो व्यक्तिगत डेटा या गोपनीय जानकारी का उपयोग कर रहे हैं ! उन्हें भी इस कानून के तहत सावधानी बरतनी होगी !फैक्ट-चेकिंग और रिव्यू कंटेंट बनाने वाले यूट्यूबर्स को सुनिश्चित करना होगा कि वे किसी व्यक्ति की निजी जानकारी को बिना सहमति के उजागर न करें ! यदि कोई कंटेंट निर्माता व्यक्तिगत डेटा को गलत तरीके से इस्तेमाल करता है ! तो उbनके खिलाफ शिकायत दर्ज की जा सकती है और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है !

सी मीडिया पटना से राहुल खन्ना की खास खबर।

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